२०२४ सालको शुरुवातलाई महान साइंटिस्टहरूलाई धन्यवाद, प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भन्छन्।
२०२४ को प्रथम दिन भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) ने बढ़ी प्रदर्शन करते हुए एक्सपोसेट (एक्स-रे पोलारिमीटर सेटेलाइट) का सफल लॉन्च किया। एक्सपोसेट भारत की पहली पोलारिमीट्री मिशन है जो अत्यधिक दशा में काले गहरे रंग के नक्शों, जैसे कि कहाँ सिंह और न्यूट्रॉन सितारों, के विभिन्न गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए है।।
सातीश धवन स्थान केंद्र, श्रीहरिकोटा से हुई इस सफल उड़ान में आईएसआरओ के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, "हमारे लिए यह रोमांचक समय है।"
"वैज्ञानिकों के धारण द्वारा 2024 की शानदार शुरुआत! इस लॉन्च का खबर स्पेस क्षेत्र के लिए अच्छी बात है और यह भारत की शक्ति को उन्नत करेगा। @isro के वैज्ञानिकों और संगठनित अंतरिक्ष समुदाय को अद्वितीय ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए पूरी शुभकामनाएं," प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ISRO की उड़ान की घोषणा का प्रतिक्रिया करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा।।
इस स्पेसक्राफ्ट में दो वैज्ञानिक बठ्ठा छोटे आकार के ग्रहण में लैलाया गया है। मुख्य बठ्ठा पोलिक्स (एक्स-रे मध्य ऊर्जा सीमा 8-30 के वाले नक्शों के पोलारिमेट्री पैरामीटर, दर्जा और दिशा की माप लेगी) होगा। एक्समीट (एक्स-रे में ऊर्जा सीमा 0.8-15 के वाली क्रमबद्ध जानकारी) बठ्ठा क्रमबद्ध जानकारी देगा।
ISRO के अनुसार, काले गहरे, न्यूट्रॉन सितारों, सक्रिय गैलेक्टिक नाइकली, प्रस्तार हवा धुवाँ आदि जैसे विभिन्न खगोलीय स्रोतों से उत्पन्न उत्सर्जन प्रक्रिया कठिन भौतिक प्रक्रियाओं से होती है और समझने में चुनौतीपूर्ण होती है।।
ISRO ने अपनी वेबसाइट पर कहा, "दरवाजगन्य विज्ञान संघ से इंडियन विज्ञान समुदाय द्वारा एक्सपोसेट से यहां ब्रेक प्राप्त करने की उम्मीद की जाती है, विभिन्न खगोलीय उत्सर्जन प्रक्रिया के विभिन्न सिद्धांतिक मानदंडों की रोदन्डता।" एक्सपोसेट से।। पोलार सेटलाइट लॉन्च विहिकल (पीएसएलवी) जिनमें एक्सपोसेट को लैयाका स्थान पर स्थापित किया गया। है ।। 10 पेयलोड भी लॉन्च किए गए, जिनका विकास स्टार्टअप, शैक्षिक संस्थानों और ISRO केंद्रों द्वारा किया गया है।
सातीश धवन स्थान केंद्र, श्रीहरिकोटा से हुई इस सफल उड़ान में आईएसआरओ के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, "हमारे लिए यह रोमांचक समय है।"
"वैज्ञानिकों के धारण द्वारा 2024 की शानदार शुरुआत! इस लॉन्च का खबर स्पेस क्षेत्र के लिए अच्छी बात है और यह भारत की शक्ति को उन्नत करेगा। @isro के वैज्ञानिकों और संगठनित अंतरिक्ष समुदाय को अद्वितीय ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए पूरी शुभकामनाएं," प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ISRO की उड़ान की घोषणा का प्रतिक्रिया करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा।।
इस स्पेसक्राफ्ट में दो वैज्ञानिक बठ्ठा छोटे आकार के ग्रहण में लैलाया गया है। मुख्य बठ्ठा पोलिक्स (एक्स-रे मध्य ऊर्जा सीमा 8-30 के वाले नक्शों के पोलारिमेट्री पैरामीटर, दर्जा और दिशा की माप लेगी) होगा। एक्समीट (एक्स-रे में ऊर्जा सीमा 0.8-15 के वाली क्रमबद्ध जानकारी) बठ्ठा क्रमबद्ध जानकारी देगा।
ISRO के अनुसार, काले गहरे, न्यूट्रॉन सितारों, सक्रिय गैलेक्टिक नाइकली, प्रस्तार हवा धुवाँ आदि जैसे विभिन्न खगोलीय स्रोतों से उत्पन्न उत्सर्जन प्रक्रिया कठिन भौतिक प्रक्रियाओं से होती है और समझने में चुनौतीपूर्ण होती है।।
ISRO ने अपनी वेबसाइट पर कहा, "दरवाजगन्य विज्ञान संघ से इंडियन विज्ञान समुदाय द्वारा एक्सपोसेट से यहां ब्रेक प्राप्त करने की उम्मीद की जाती है, विभिन्न खगोलीय उत्सर्जन प्रक्रिया के विभिन्न सिद्धांतिक मानदंडों की रोदन्डता।" एक्सपोसेट से।। पोलार सेटलाइट लॉन्च विहिकल (पीएसएलवी) जिनमें एक्सपोसेट को लैयाका स्थान पर स्थापित किया गया। है ।। 10 पेयलोड भी लॉन्च किए गए, जिनका विकास स्टार्टअप, शैक्षिक संस्थानों और ISRO केंद्रों द्वारा किया गया है।