भारत ने 21 मई, 2024 को, स्वर्गीय ईरानी अधिकारियों की याद में सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय शोक का दिन मनाया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार (22 मई 2024) को अविनीति में देर रात संयुक्त राष्ट्रपति सय्यद इबराहिम रायसी, विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दोल्लाहियन और अन्य ईरानी अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ईरान के कार्यवाहक राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर से भी मुलाकात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
ईरानी राष्ट्रपति रायसी, विदेश मंत्री अमीर-अब्दोल्लाहियन, और अन्य अधिकारियों की दुःखद मृत्यु का आधिकारिक समारोह में शामिल होने के लिए उन्होंने ईरान इस्लामी गणतंत्र में दिनभर में ही पहुंचे थे, जो 19 मई 2024 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चल बसे थे।
इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में राष्ट्रपति रायसी का हेलीकॉप्टर, जो अजरबैजान के पास सीमा समारोह से लौट रहा था, कब्जा कर रहे पहाड़ी क्षेत्र में ईरान के उत्तर-पश्चिमी भाग में गिर गया। इस घटना के बाद बड़ी खोज और बचाव अभियान शुरू हुई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, जैसे कि यूरोपीय संघ, रूस, और तुर्की, सहित कई देशों ने सहयोग दिया। दुर्घटना स्थल को अंततः सोमवार की सुबह ढूंढ निकाला गया, जिसने ईरान में राष्ट्रीय शोक की अवधि की शुरुआत की।
तहरान में पहुंचे तत्काल बाद, उपराष्ट्रपति धनखड़ को ईरानी अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उपराष्ट्रपति का यह दौरा मित्रता और सम्मान की एक जस्ता मानी जाती है, जो भारत और ईरान के बीच के करीबी संबंधों को दर्शाती है। धनखड़ अनेक स्मृति सेवाओं में भाग लेने और ईरानी नेतृत्व और मृतकों के परिवारों के प्रति भारत की संवेदनाओं को व्यक्त करने की उम्मीद है।
भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही ईरानी सरकार और उसकी जनता के प्रति अपनी हृदय से उत्पन्न दुःखभारी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। इसके अलावा, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 21 मई 2024 को ईरानी लोकतंत्रीय गणतंत्र के दूतावास पर देश के दु:ख की आधिकारिक भावना व्यक्त करने के लिए नई दिल्ली में जा कर विशेष आयाम का दौरा किया।
दिवंगत ईरानी अधिकारियों की स्मृति को मान्यता देने के लिए, भारत ने 21 मई 2024 को राष्ट्रीय शोक का दिन मनाया। ध्वज अर्ध ध्वजित किए गए थे, और सम्मान के रूप में आधिकारिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए थे। यह एकता का उदाहरण दर्शाता है भारत और ईरान के बीच सांस्कृतिक एवं कूटनीतिक सम्बंधों की गहराई को, जिसे वर्षों से पाला जा रहा है।
कई विदेशी गणमान्यव्यक्तियों ने दौरा किया। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी और प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी दफन सेवाओं में भाग लेने के लिए तेहरान पहुंचे। कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल-याह्या ने भी कुवैती अमीर की ओर से समारोहों में भाग लिया, जिसने इस दुःखद घटना के व्यापक प्रभाव को और अधिक जोर दिया।
राष्ट्रपति राइसी और विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन की मृत्यु ने महत्वपूर्ण कूटनीतिक कार्यवाहियों में भी देरी कराई है। ईरान और संयुक्त राष्ट्र परमाणु वॉचडॉग, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बीच वार्ता को अस्थायी रूप से ठप कर दिया गया है। समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, आईईईए अध्यक्ष राफेल ग्रोसी ने हेल्सिंकी से बोलते हुए ईरान के शोक की अवधि के प्रति सम्मान व्यक्त किया और औपचारिक शोक समाप्त होने पर वार्तालाप फिर से शुरू करने की अभिप्रेति व्यक्त की।
राष्ट्रपति राइसी के निधन के बाद, ईरान के पूर्व प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। नए राष्ट्रपति को नियुक्त करने के लिए होने वाले चुनावों की तारीख 28 जून, 2024 तय की गई है, जो ईरान के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
भारत और ईरान इस शोक की अवधि के दौरान मित्रता और पारस्परिक सम्मान की याद दिलने में, उपराष्ट्रपति धनखड़ के दौरे की प्रमुखता है। इस दु:खद घटना के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया आज की जगत में एक दूसरे से जुड़े होने की स्पष्टीकरण करती है, जहां एक नेता की मृत्यु का प्रभाव केवल राष्ट्रीय सीमाओं से परे ही नहीं होता।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ईरान के कार्यवाहक राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर से भी मुलाकात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
ईरानी राष्ट्रपति रायसी, विदेश मंत्री अमीर-अब्दोल्लाहियन, और अन्य अधिकारियों की दुःखद मृत्यु का आधिकारिक समारोह में शामिल होने के लिए उन्होंने ईरान इस्लामी गणतंत्र में दिनभर में ही पहुंचे थे, जो 19 मई 2024 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चल बसे थे।
इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में राष्ट्रपति रायसी का हेलीकॉप्टर, जो अजरबैजान के पास सीमा समारोह से लौट रहा था, कब्जा कर रहे पहाड़ी क्षेत्र में ईरान के उत्तर-पश्चिमी भाग में गिर गया। इस घटना के बाद बड़ी खोज और बचाव अभियान शुरू हुई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, जैसे कि यूरोपीय संघ, रूस, और तुर्की, सहित कई देशों ने सहयोग दिया। दुर्घटना स्थल को अंततः सोमवार की सुबह ढूंढ निकाला गया, जिसने ईरान में राष्ट्रीय शोक की अवधि की शुरुआत की।
तहरान में पहुंचे तत्काल बाद, उपराष्ट्रपति धनखड़ को ईरानी अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उपराष्ट्रपति का यह दौरा मित्रता और सम्मान की एक जस्ता मानी जाती है, जो भारत और ईरान के बीच के करीबी संबंधों को दर्शाती है। धनखड़ अनेक स्मृति सेवाओं में भाग लेने और ईरानी नेतृत्व और मृतकों के परिवारों के प्रति भारत की संवेदनाओं को व्यक्त करने की उम्मीद है।
भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही ईरानी सरकार और उसकी जनता के प्रति अपनी हृदय से उत्पन्न दुःखभारी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। इसके अलावा, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 21 मई 2024 को ईरानी लोकतंत्रीय गणतंत्र के दूतावास पर देश के दु:ख की आधिकारिक भावना व्यक्त करने के लिए नई दिल्ली में जा कर विशेष आयाम का दौरा किया।
दिवंगत ईरानी अधिकारियों की स्मृति को मान्यता देने के लिए, भारत ने 21 मई 2024 को राष्ट्रीय शोक का दिन मनाया। ध्वज अर्ध ध्वजित किए गए थे, और सम्मान के रूप में आधिकारिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए थे। यह एकता का उदाहरण दर्शाता है भारत और ईरान के बीच सांस्कृतिक एवं कूटनीतिक सम्बंधों की गहराई को, जिसे वर्षों से पाला जा रहा है।
कई विदेशी गणमान्यव्यक्तियों ने दौरा किया। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी और प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी दफन सेवाओं में भाग लेने के लिए तेहरान पहुंचे। कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल-याह्या ने भी कुवैती अमीर की ओर से समारोहों में भाग लिया, जिसने इस दुःखद घटना के व्यापक प्रभाव को और अधिक जोर दिया।
राष्ट्रपति राइसी और विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन की मृत्यु ने महत्वपूर्ण कूटनीतिक कार्यवाहियों में भी देरी कराई है। ईरान और संयुक्त राष्ट्र परमाणु वॉचडॉग, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बीच वार्ता को अस्थायी रूप से ठप कर दिया गया है। समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, आईईईए अध्यक्ष राफेल ग्रोसी ने हेल्सिंकी से बोलते हुए ईरान के शोक की अवधि के प्रति सम्मान व्यक्त किया और औपचारिक शोक समाप्त होने पर वार्तालाप फिर से शुरू करने की अभिप्रेति व्यक्त की।
राष्ट्रपति राइसी के निधन के बाद, ईरान के पूर्व प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। नए राष्ट्रपति को नियुक्त करने के लिए होने वाले चुनावों की तारीख 28 जून, 2024 तय की गई है, जो ईरान के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
भारत और ईरान इस शोक की अवधि के दौरान मित्रता और पारस्परिक सम्मान की याद दिलने में, उपराष्ट्रपति धनखड़ के दौरे की प्रमुखता है। इस दु:खद घटना के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया आज की जगत में एक दूसरे से जुड़े होने की स्पष्टीकरण करती है, जहां एक नेता की मृत्यु का प्रभाव केवल राष्ट्रीय सीमाओं से परे ही नहीं होता।